Description
Raam Tere Kitne Naam – Indumati Sarkar
वर्तमान समय में व्याप्त बाजारीकरण ने संबंधो ं की परिभाषा को पूर्णतः
बदल डाला है। रोजगार की समस्या से जूझता गांव विवशता से शहर
की ओर पलायन कर रहा है। यह उपन्यास इसी संघर्ष को दर्शाता है।
जहां एक ओर गांव के जीवन व वहां की समस्याओं की झलक है तो
वही शहर में जीवित रहने की जद्दोजहद भी है। ‘ राम तेरे कितने नाम‘
रामसेवक की पलायन की कथा है। जिसमे वह रामसेवक से आर एस
फिर पीटर तक की यात्रा पूर्ण करता है। इस बदलाव से उसका हृदय
दुखी होता है तो वह स्वयं को समझाता है कि नाम में क्या रखा है।
कोई उसे किसी भी नाम से बुलाए रहेगा तो वह रामसेवक ही।
216 पृष्ठों के इस उपन्यास को पढ़ते हुए आप कही भी बोर नहीं
होते। यह उपन्यास अपने आप मे ं कई कलेवर और रिश्तों के रंगों से
भरा है। लेखिका इन्दुमति सरकार का यह पहला उपन्यास है। जो पूरी
तरह सार्थक बन पड़ा है।
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