Description
Asli Pracheen Hast Likhit Shree Bhrigu Sanhita Mahaashastra Bhasha Teeka
भृगु संहिता महाशास्त्र प्राचीन काल में जबकि आज की भांति छपाई आदि का प्रचलन नहीं था हमारे ऋषियों-मुनियों ने विभिन्न ग्रन्थों की रचना करके अपनी शिष्य परम्परा के अनुसार उन्हं अक्षरशः स्मरण कराकर इस ज्ञान भण्डार को आगे बढ़ाया था। तत्पश्चात ताड़ वृक्ष के पत्तों तथा भोजपत्र आदि पर इन ग्रन्थों को लिखा गया। बाद के कालखण्ड में विधर्मियों तथा आतंकवादियों ने इन ग्रन्थों को नष्ट करने का सामूहिक तथा योजनाबद्ध प्रयास किया। इसका परिणाम यह हुआ कि सर्वांगीण पूर्ण ग्रन्थ दुष्प्राप्य हो गये। यदि कहीं कोई ग्रन्थ बचा भी तो उसके भी खण्ड-खण्ड हो गये अथवा विदेशी उठाकर ले गये। ऐसे ही दुर्लभ ग्रन्थों में ‘भृगुसंहिता महाशास्त्रा’ की गणना होती है, जिसका केवल नाम सुना था। अनेक अल्पज्ञ पंडित ‘भृगुसंहिता महाशास्त्र’ के असली होने में सन्देह करते हैं। यह ग्रन्थ प्राचीन काल से श्रवणगोचर होता रहा है। कुछ पंडित एवं ज्योतिषी जिनके पास इस हस्तलिखित ग्रन्थ का कुछ भाग पाया जाता है वे कई पीढि़यों से उन पृष्ठों को दिखा सुनाकर जनता से उनकी कुण्डली का फलादेश बताकर मंहमांगी दक्षिणा लेते रहे हैं। श्री भृगु ऋषि द्वारा रचित ‘भृगुसंहिता’ जैसा भूत, भविष्य और वर्तमान का पूर्ण विवरण बताने वाला ग्रन्थ आज तक देखा न गया था, हां नाम ही सुना था। संसार में कुछ भी असम्भव नहीं है। अनेक वर्षों तक अथक परिश्रम तथा हजारों रुपया खर्च करके कुण्डली के आधर पर भूत, भविष्य और वर्तमान का फलादेश बताने वाला हस्तलिखित ‘भृगुसंहिता महाशास्त्र’ तैयार है। 20X30/6 (पुराण साइज), हस्तलिखित 1410 पृष्ठ, 14 खण्डों में सम्पूर्ण आफसेट प्रिन्ट इस विशाल ग्रन्थ में अनगिनित कुण्डलियां दी गई हैं। संस्कृत के श्लोकों के साथ-साथ हिन्दी टीका इस ग्रन्थ की प्रमुख विशेषता है।
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