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Bhrigu Samhita - भृगु संहिता

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भृगु संहिता प्राचीन भारतीय ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे महर्षि भृगु ने लिखा था। इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार के ज्योतिषीय योगों और उनकी व्याख्याओं का वर्णन है। लेकिन समय के साथ-साथ समाज और जीवनशैली में कई परिवर्तन आए हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्राचीन व्याख्याएँ और परिभाषाएँ आज के संदर्भ में अपर्याप्त या अप्रासंगिक हो सकती हैं। इसीलिए, आधुनिक युग के अनुरूप नई भृगु संहिता की आवश्यकता उत्पन्न हुई है, जिसमें आज के संदर्भ में ज्योतिषीय योगों का फलित किया जा सके।

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भृगु संहिता: प्राचीन ज्ञान का आधुनिक संदर्भ

भृगु संहिता प्राचीन भारतीय ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसे महर्षि भृगु ने लिखा था। इस ग्रंथ में विभिन्न प्रकार के ज्योतिषीय योगों और उनकी व्याख्याओं का वर्णन है। लेकिन समय के साथ-साथ समाज और जीवनशैली में कई परिवर्तन आए हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्राचीन व्याख्याएँ और परिभाषाएँ आज के संदर्भ में अपर्याप्त या अप्रासंगिक हो सकती हैं। इसीलिए, आधुनिक युग के अनुरूप नई भृगु संहिता की आवश्यकता उत्पन्न हुई है, जिसमें आज के संदर्भ में ज्योतिषीय योगों का फलित किया जा सके।

पुरानी परिभाषाओं का आधुनिक संदर्भ:

  1. चौपायों का सुख: प्राचीन समय में चौपायों का मतलब हाथी, घोड़े, बैल और अन्य पालतू पशुओं से होता था। यह बताया जाता था कि जातक को चौपायों से सुख मिलेगा। लेकिन आज के युग में चौपायों का स्थान चार पहिया वाहनों ने ले लिया है। अब गाड़ी, बाइक, और अन्य परिवहन साधनों को ही चौपायों का आधुनिक रूप माना जा सकता है, जो जातक को सुख और सुविधाएं प्रदान करते हैं।
  2. आधुनिक समस्याओं का समाधान: आज के कंप्यूटर और इंटरनेट के युग में, जीवन की समस्याएं और उनका स्वरूप भी बदल चुका है। प्राचीन भृगु संहिता में इन आधुनिक समस्याओं का कोई वर्णन नहीं मिलता। इसलिए, इन समस्याओं को हल करने और भविष्य की घटनाओं का सटीक भविष्यवाणी करने के लिए नवीन भृगु संहिता की आवश्यकता है।

नवीन भृगु संहिता की विशेषताएँ:

  1. वर्तमान युग अनुरूप फलादेश: नवीन भृगु संहिता में प्रयास किया गया है कि प्राचीन योगों की व्याख्या को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया जाए। इससे वर्तमान काल के पाठकों को जीवन में आने वाली घटनाओं और समस्याओं को समझने और उनका समाधान निकालने में मदद मिलेगी।
  2. व्यवसायिक योग: इस संहिता में विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक योगों का स्पष्ट वर्णन किया गया है। इनके अध्ययन से जातक अपने भविष्य की रूपरेखा बना सकता है और अपने व्यवसायिक जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है।
  3. सहज और सुलभ व्याख्या: प्रत्येक ग्रह के भावगत वर्णन को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है, जिससे पाठक इसे आसानी से समझ सकें और अपने जीवन में लागू कर सकें।

निष्कर्ष:

नवीन भृगु संहिता, प्राचीन ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह संहिता ज्योतिषीय योगों की प्राचीन परिभाषाओं को नए युग के अनुरूप व्याख्यायित करती है, जिससे पाठक अपने जीवन की घटनाओं और समस्याओं को बेहतर तरीके से समझ सकें और उन्हें सुलझा सकें। इस प्रकार, नवीन भृगु संहिता आज के पाठकों के लिए ज्योतिष संबंधी अपेक्षित ज्ञान प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन बनती है। आशा है कि पाठक इस नवीन भृगु संहिता से लाभान्वित होंगे और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे।

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